लहरों में डूबते रहे , दरिया नहीं मिला
उससे बिछड़ के फ़िर कोई वैसा नहीं मिला
वो भी बहुत अकेला है , शायद मेरी तरह
उसका भी कोई चाहने वाला नहीं मिला
साहिल पे कितने लोग मेरे साथ-साथ थे
तूफ़ान की ज़द में आया , तो तिनका नहीं मिला
दो-चार दिन तो कितने सुकून से गुज़र गए
सब खैरियत रही , कोई अपना नहीं मिला
उससे बिछड़ के फ़िर कोई वैसा नहीं मिला
वो भी बहुत अकेला है , शायद मेरी तरह
उसका भी कोई चाहने वाला नहीं मिला
साहिल पे कितने लोग मेरे साथ-साथ थे
तूफ़ान की ज़द में आया , तो तिनका नहीं मिला
दो-चार दिन तो कितने सुकून से गुज़र गए
सब खैरियत रही , कोई अपना नहीं मिला
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