Tuesday, 29 January 2019

इतना तो किया होता

या-रब ग़म-ए-हिज्राँ में इतना तो किया होता 
जो हाथ जिगर पर है वो दस्त-ए-दुआ होता 

इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त 
या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता 

नाकाम-ए-तमन्ना दिल इस सोच में रहता है 
यूँ होता तो क्या होता यूँ होता तो क्या होता 

उम्मीद तो बंध जाती तस्कीन तो हो जाती 
वादा न वफ़ा करते वादा तो किया होता 

ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने 
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता 


ग़म-ए-हिज्राँ - sorrows of separation
दस्त-ए-दुआ - hands raised in prayer
तस्कीन - comfort, pacifying

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