फिर मेरी याद आ रही होगी….
फिर वो दीपक बुझा रही होगी….
फिर मेरे Facebook पे आकर वो…
खुद को बैनर बना रही होगी…
फिर मेरी याद आ रही होगी…
फिर वो दीपक बुझा रही होगी…..
अपने
बेटे का चूम कर माथा….
मुझको
टीका लगा रही होगी….
फिर मेरी याद आ रही होगी….
फिर वो दीपक बुझा रही होगी….
फिर उसी ने उसे छुआ होगा….
फिर उसी से निभा रही होगी….
फिर मेरी याद आ रही होगी…
फिर वो दीपक बुझा रही होगी….
जिस्म
चादर सा बिछ गया होगा…
रूह सिलवट हटा रही होगी….
फिर मेरी याद आ रही होगी….
फिर वो दीपक बुझा रही होगी….
फिर से एक रात कट गयी होगी…
फिर से एक रात आ रही होगी…
फिर मेरी याद आ रही होगी…
फिर वो दीपक जला रही होगी….
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