Tuesday, 6 December 2016

कैसे...



टूट जाए ना भरम होंठ हिलाउ कैसे,
हाल जैसा भी हो लोगों को सुनाउ कैसे...

खुश्क आँखों से भी अश्कों की महक आती है,
मैं उस के गम को ज़माने से छुपाउँ  कैसे.....

फूल होता तो मैं उस के दर पे सज़ा भी देता,
ज़ख़्म ले के उसकी दहलीज़ पे जाउ कैसे....

वो रुलाता है तो जी भर के रुलाए मुझे,
वो मेरी आँखें है, मैं उसको रूलाउँ कैसे.....

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