Saturday, 5 August 2017

कभी अकेले में..

कभी अकेले में  मिल कर झंझोड़ दूंगा उसे
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूंगा उसे
मुझे छोड़ गया ये कमाल है उस का
इरादा मैंने किया था के छोड़ दूंगा उसे
पसीने बांटता फिरता है हर तरफ सूरज
कभी जो हाथ लगा तो  निचोड़ दूंगा उसे
मज़ा चखा के ही माना हूँ  मैं भी दुनिया को
समझ रही थी  के ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे
बचा के रखता है खुद को वो मुझ से शीशाबदन
उसे ये डर है  के तोड़फोड़ दूंगा उसे

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