थोड़ी देर तक उसका नाम लेने से वह सपनों में चली आती है। देर तक मुझपर हंसकर वह मेरे पास बैठना चाहती है। जगह की कमी हम दोनों महसूस करते हैं... दुनिया कितनी बड़ी है... वह कहती है। मैं अपनी जगह् से भटक जाता हूँ। किंगफिशर सामने के पेड़ पर आकर मेरी ख़ाली बाल्कनी देखता रहता है। मैं देर तक बाल्कनी को भर देने की कोशिश करता हूँ..। हम एक दूसरे की ख़ाली जगह भर सकते थे... मैं तुम्हारे साथ बूढ़ा होना चाहता हूँ... मैंने अपनी गर्म सांसो में लपेटकर कई बार यह बात उसके पैरों के पास रखी थी। जीवन बहुत सरल था और हम फिर चालाक निकले....। हमने अपने बड़े होने के सबूत दिये.. खेल हमेशा बचकाना था। अब वह सपने में हैं... कहानी ख़ाली पड़ी है..। बाल्कनी में झूला लगाने की ज़िद्द जीवन मांगती है। और हम दोनों जीवन को चुन लेते हैं। सपने में वह कहती है.... और मैं सपनों में उसे जी लेता हूँ।
क्या बताऊं अपने बारे में ... बस इतना समझ लीजिए की पागल हवा का झोंका हूँ .. .. जो मन करता है वही करता हूँ ... बक-बक करने की आदत है सो ब्लॉग लिख कर मन बहलाता हूँ ..... ज़मीन से जुड़ा हूँ .. सो ज़मीन की बातें करता हूँ .. छोटी-छोटी चीज़ो में खुशी ढूँढने की कोशिश करता हूँ ... बॉस मैं ओल्ड फेशन्ड .. थोड़ा सा कन्सर्वेटिव .. दूरदर्शन जेनरेशन का आदमी हूँ .. मिलने की उम्मीद करता हूँ .. बिछड़ने से डरता हूँ .. सपने देखता हूँ .. इससे ज़्यादा मेरे बारे में क्या जानोगे.... !!!!
Friday, 5 October 2018
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A lost hope
Fountains of lament burst through my desires for you.. Stood like the height of a pillar that you were, I could see your moving eyes ...
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अगर यकीं नहीं आता तो आजमाए मुझे वो आईना है तो फिर आईना दिखाए मुझे अज़ब चिराग़ हूँ दिन-रात जलता रहता हूँ मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए ...
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Fountains of lament burst through my desires for you.. Stood like the height of a pillar that you were, I could see your moving eyes ...
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परिंदे छत पे बुलाते हैं बैन करते हैं मेरी बयाज़ दिखाते हैं बैन करते हैं इन्हें पता ही नहीं बंद खिड़कियों की सिसक ये लोग रो नहीं पाते है...
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