Wednesday, 10 October 2018

दिल करता है कुछ कहने का

तुम्हारे आँचल में होता हूँ
तो दिल करता है कुछ कहने का
तुम्हारी गरमाहट को महसूस करने का
तुम्हारे मुलायम बदन पे अपने तलवे सहलाने का
उन चंद लम्हों के लिए हो जाता हूँ
उस पवित्र नदी के जैसा
जो तुम्हें कभी चूमती है 
तो कभी थोड़ा और कस के पकड़ लेती है
और फिर हो जाता हूँ दूर
जैसे हर साल वो हो जाती है तुमसे
देखता हूँ की तुम्हारी और उसकी दूरी बढ़ती ही जा रही हर साल
क्या ऐसे ही हमारा रिश्ता भी दूर का हो जाएगा ।

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