कुछ दिल ने कहा
कुछ भी नहीं
ऐसी भी बातें होती हैं
लेता है दिल अंगड़ाइयां
इस दिल को समझाये कोई
रात ऐसी ही होती है । विविध भारती के
जैसी । धीरे धीरे आवाज़ साफ होती सी ।
सिरहाने के क़रीब रखा रेडियो चुपचाप गाये
जा रहा है । तारों से भरा रात का आसमान
थिरक रहा है । जो भी है बस यही इक पल है ।
पाँव बिस्तर के बाहर झूल रहे हैं । इन
गानों की सोहबत में रात दोस्त की तरह बात
करती है । सारे राज़ के वेवलेंथ पकड़ लेती है ।
हौले हौले बातों से अच्छा करती जाती है ।
टेबल फ़ैन की हल्की हवा का शोर गुम हुआ
जाता है । रेडियो है कि गाता है ।
"अनजाने सायों का राहों में डेरा है
अनदेखी बाहों ने हम सबको घेरा है ।
जीने वाले सोच ले यही वक्त है
कर ले पूरी आरज़ू "
वायलीन जैसा कुछ बज रहा है । माउथ
आर्गन है क्या । मालूम नहीं । कौन है उस
तरफ़ जानता नहीं । गानों में कौन है
जो किसी से मिलता जुलता है । जीवन में कौन
है जो गानों सा लगता है । मैं हूँ तो भी नहीं हूँ ।
पैराग्राफ़ बदलना गुनाह लगता है ।
लिखना बादल के फटने जैसा है । सब कुछ बह
जाता है । जो होता है वो भी और
जो नहीं होता है वो भी । लिखी हुई बातों से मन
दूर निकल आता है । पागलनामा क्यों लिख
रहा हूँ । क्यों जाग रहा हूँ । नींद किस शहर से
आती है । वो ग़ाज़ियाबाद नहीं आती क्या ।
पतंग की कटी डोर पकड़ने सा मंज़र है ।
बचपन में डोर के पीछे दूर तक भागना नींद के
पीछे दौड़ना जैसा है । क्या है जो सोने
नहीं देता । क्या है जो जागने से मिल
जाएगा । क़ानून बनाओ । क़ानून बनाओ । हर
ख़्वाब को जुर्म में बदल दो । सलाखों के पीछे
मिलेंगे सपने और जेलर बना जाग
रहा होऊँगा मैं ।कोई
परेशानी तो है नहीं फिर परेशान कैसा ।
केदारनाथ सिंह को पढ़ूँ क्या, लेकिन
काशीनाथ सिंह से शांति नहीं मिली । मंगलेश
की कविता ठीक रहेगी । नहीं न्यूज़ चैनल देख
लूँ । नहीं नहीं । नहीं देखनी । मैं तो पागल हूँ ।
न्यूज़ तो समझदार देखते हैं । पागल
तो जागता है । नींद नहीं आती । अरे अरे फिर
कोई गाना आ गया ।
दुनिया में लोगों को
धोखा कभी हो जाता है
आँखो ही आँखों में
यारों का दिल खो जाता है ।
विजेता कहीं भी सो लेता है । करवट
नहीं बदलता है । ग़ाज़ियाबाद हारे हुए
लोगों का शहर है । हिन्दी कविता पढ़ने
वालों की दुनिया । जो अपना पैसा देकर
संग्रह छपवाते हैं कवि कहलाने के लिए । तुम
सोते हो कि नहीं ।
क्या बताऊं अपने बारे में ... बस इतना समझ लीजिए की पागल हवा का झोंका हूँ .. .. जो मन करता है वही करता हूँ ... बक-बक करने की आदत है सो ब्लॉग लिख कर मन बहलाता हूँ ..... ज़मीन से जुड़ा हूँ .. सो ज़मीन की बातें करता हूँ .. छोटी-छोटी चीज़ो में खुशी ढूँढने की कोशिश करता हूँ ... बॉस मैं ओल्ड फेशन्ड .. थोड़ा सा कन्सर्वेटिव .. दूरदर्शन जेनरेशन का आदमी हूँ .. मिलने की उम्मीद करता हूँ .. बिछड़ने से डरता हूँ .. सपने देखता हूँ .. इससे ज़्यादा मेरे बारे में क्या जानोगे.... !!!!
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A lost hope
Fountains of lament burst through my desires for you.. Stood like the height of a pillar that you were, I could see your moving eyes ...
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अगर यकीं नहीं आता तो आजमाए मुझे वो आईना है तो फिर आईना दिखाए मुझे अज़ब चिराग़ हूँ दिन-रात जलता रहता हूँ मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए ...
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Fountains of lament burst through my desires for you.. Stood like the height of a pillar that you were, I could see your moving eyes ...
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परिंदे छत पे बुलाते हैं बैन करते हैं मेरी बयाज़ दिखाते हैं बैन करते हैं इन्हें पता ही नहीं बंद खिड़कियों की सिसक ये लोग रो नहीं पाते है...
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