Saturday, 13 July 2013

कहने का मन करता है ... कुत्ता कुत्ता होता

कुत्ता कुत्ता होता है
आदरणीय कुत्ता जी
आजकल मैं पत्र लिखने में व्यस्त हो गया हूँ ।
जब से लोग तार के बंद होने पर लोग
नानी को याद करने की तरह
नोस्ताल्जिया का उत्सव मना रहे हैं तब से
पत्र लेखन के बंद होने की आशंका में लिखने
लगा हूँ । तो प्यारे कुत्ता जी तुम भारतीय
राजनीति के भी वफ़ादार हो । तुम हिन्दू
हो कि मुसलमान हो ये नहीं मालूम लेकिन तुम
कुत्ता हो यह पता है । तुम मुस्लिम
राष्ट्रवादी हो या हिन्दू राष्ट्रवादी यह
नहीं मालूम पर तुम एक कुत्ता हो यह पता है ।
टीवी के एंकर और प्रवक्ता बेवजह
तुम्हारी तुलना इंसानों की ज़ात से कर रहे हैं ।
कुत्ता सिर्फ कुत्ता होता है । कुत्ते
का बच्चा भी कुत्ता होता है ।कुत्ते
का पापा भी कुत्ता होता है । कुत्ते
की मम्मी भी कुत्ता होती है । कुत्ता कार के
नीचे आ जाता है । जब आता है कार
का ड्राइवर ब्रेक भी नहीं मारता ।
कुचलता हुआ चला जाता है । पीछे से
आती गाड़ी भी मरे कुत्ते
को कुचलती चली जाती है ।
कुत्ता कुचलता रहता है । सड़क पर भी और
राजनीति में भी । सड़क का ड्राइवर कुचलकर
भाग जाता है । कभी किसी ड्राइवर को कुत्ते
की मौत के ग़म में रोते नहीं देखा । कुचलने के
बाद भागता नहीं है वो बस अपनी रफ़्तार में
चलता रहता है । रोज़ कुत्ते कुचले जा रहे हैं ।
क़ानून भी तुम कुत्तों के कुचल देने पर
सज़ा नहीं देता । एक नहीं सौ कुत्ते कुचल
जायें किसी आदमी को सज़ा नहीं मिलेगी ।
तुम कुत्तों को कुचल देना किसी क़ानून में
अपराध नहीं है । जितना मैं जानता हूँ । कम से
कम राजनीति में तुम्हारे कुचले जाने का दुख है
। बहुत है । कुचले तो तुम मम्मी पापा भी जाते
हो मगर जब तुम्हारा पप्पी कुचला जाता है
तब दुख होता है । भारतीय संस्कृति में जीवन
का सम्मान न होता तो यह दुख ज़ाहिर भी न
होता । बल्कि सवाल ही न होता । तुम आए
दिन कुचले जाते हो क्या ये कुचलने वाले
भूटान संस्कृति से आते होंगे । टीवी को कोई
काम नहीं है । दुख दुख होता है । दुख
कुत्ता नहीं होता । कुत्ता हिन्दू मुसलमान
नहीं होता । बात का बतंगड़ है । चारों तरफ़
अंधड़ है । रायटर टाइम्स के लोग कुत्ते
का मर्म समझते हैं । भारतीय और
मीडिया तुम कुत्तों को हिक़ारत की निगाह से
देखते हैं । देसी कहते हैं । गली का कुत्ता कहते
है । कुत्ता कुत्ता गाली देते हैं । कुत्ते को लात
मारते हैं । सारे भारतीय जैकी श्राफ नहीं होते ।
तेरी मेहरबानियां नहीं देखते हैं । फिर भी कहते
हैं कि भारतीय संस्कृति में जीवन का सम्मान
है । शायद कुत्ते का नहीं है । तुम युधिष्ठिर
जी के साथ स्वर्ग चले गए थे । काहे आ गए ।
वहीं रहना था । तभी कहता हूँ पैराग्राफ़ मत
बदलो । एक साँस में बोलो और लिखो ।
व्याकरण प्राधिकरण है । मत डरो ।
तो सुनो हिन्दुस्तान के कुत्तों, तुम कुत्ता हो ।
तुम भाजपा हो न कांग्रेस हो । टीवी मत देखो ।
वहाँ कुत्तों के नाम पर भेड़ों की लड़ाई
हो रही है । तुमको इंसान बनाकर
भी लतियाया जा रहा है । गरियाया जा रहा है ।
सड़क पर सँभल कर चलो । कुचले जाने से
बचो । भारत के लोग देसी कुत्ता नहीं पालते हैं
। विदेशी पालते हैं क्योंकि विदेशी कुत्ते
सड़कों पर नहीं कुचले जाते । घरों में पाले जाते
हैं । विदेशी मीडिया और
विदेशी कुत्तों की बात ही कुछ और है । देश में
कुछ और बचा नहीं । कुछ हुआ नहीं ।
कुत्ता तुम नेशनल न्यूज़ हो । फिर भी तुम
टीवी मत देखना । आदमी तुम्हारे कुचले जाने
पर दुखी होने का स्वाँग कर रहा है । तुम आज
भी कहीं न कहीं कुचले गए होगे । रायटर
को बताना कि कौन दुखी हुआ है । सिर्फ और
सिर्फ कुत्ते के लिए । इंडियन मीडिया को मत
बताना । बहस बकवास है । राजनीति में सब
हगवास है । बाक़ी सब बदहवास हैं ।
कुत्ता कुत्ता है । देसी तो और भी कुत्ता है ।
तुम्हारा

कुत्ताभीरू

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