क्या बताऊं अपने बारे में ... बस इतना समझ लीजिए की पागल हवा का झोंका हूँ .. .. जो मन करता है वही करता हूँ ... बक-बक करने की आदत है सो ब्लॉग लिख कर मन बहलाता हूँ ..... ज़मीन से जुड़ा हूँ .. सो ज़मीन की बातें करता हूँ .. छोटी-छोटी चीज़ो में खुशी ढूँढने की कोशिश करता हूँ ... बॉस मैं ओल्ड फेशन्ड .. थोड़ा सा कन्सर्वेटिव .. दूरदर्शन जेनरेशन का आदमी हूँ .. मिलने की उम्मीद करता हूँ .. बिछड़ने से डरता हूँ .. सपने देखता हूँ .. इससे ज़्यादा मेरे बारे में क्या जानोगे.... !!!!
Tuesday, 16 July 2013
फेंकू पप्पू फ़ार थेथरोक्रेसी
फेंकू पप्पू । पप्पू फेंकू । पप्पू फेंकू । फेंकू पप्पू
। फेंकू फेंकू । पप्पू पप्पू । फेंकू फेंका । पप्पू
रोका । फेंका फेंका । रोका रोका । पप्पू फेंका ।
फेंकू रोका । फेंकू टीवी पप्पू टीवी । टीवी फेंकू
टीवी पप्पू । फेंकू युवा पप्पू युवा । फेंकू देश
पप्पू देश । फेंकू पीएम पप्पू पीएम । फेंकू
दिल्ली फेंकू पुणे । पप्पू जयपुर पप्पू नोएडा ।
फेंकू बैकवर्ड पप्पू फार्वर्ड । फेंकू फेंकू फेंकू
फेंकू । पप्पू पप्पू पप्पू पप्पू । फेंकू
फेंका छक्का । पप्पू मारा छक्का । फेंकू माडल
पप्पू माडल । यक रहैन फेंकू । यक रहैन पप्पू ।
यक रहैन हम । य्य । फेंकू कहैन
चलो लकड़ी काट आइब । पप्पू कहैन
चलो लकड़ी काट आइब । फेंकू काटे एक
लकड़ी । पप्पू काटे तीन लकड़ी । हम
काटा टीवी । फेंकू कहैन चलो गुलेल बनाइब ।
पप्पू कहैन चलो गुलेल बनाइब । हम
कहा चलो हमहू गुलेल बनाइब । फेंकू बनाइन
फेंकू गुलेल । पप्पू बनाइन पप्पू गुलेल ।
हमार ? कट कूट गए । यक रहैन इर यक रहैन
बीर यक रहैन फत्ते । इय्या । फेंकू फेंका तीन
बयान । पप्पू फेंका पाँच बयान । म्यान म्यान
। बयान बयान । सरकार सरकार । फेंकू
लबरा पप्पू झबरा ।
लबरा झबरा झबरा लबरा । मार तोरी इ
पोलटिक्स के ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
A lost hope
Fountains of lament burst through my desires for you.. Stood like the height of a pillar that you were, I could see your moving eyes ...
-
अगर यकीं नहीं आता तो आजमाए मुझे वो आईना है तो फिर आईना दिखाए मुझे अज़ब चिराग़ हूँ दिन-रात जलता रहता हूँ मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए ...
-
Fountains of lament burst through my desires for you.. Stood like the height of a pillar that you were, I could see your moving eyes ...
-
परिंदे छत पे बुलाते हैं बैन करते हैं मेरी बयाज़ दिखाते हैं बैन करते हैं इन्हें पता ही नहीं बंद खिड़कियों की सिसक ये लोग रो नहीं पाते है...
No comments:
Post a Comment