Thursday, 25 July 2013

राजनीति का पनटकिया काल

प्रिय पाँच रुपये,
खाते पीते कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने आज
पाँच रुपये का जो सम्मान किया है उससे मैं
बहुत ख़ुश हूँ । पाँच रुपये को कोई कुछ समझ
ही नहीं रहा था । जब से
सिक्का चरन्नी हो गया है सारा भार पाँच
रुपया पर आ गया था । बारातों में पाँच रुपये
की गड्डी उड़ते देखी है । बैंड मास्टर
को नवाज़ कर हवा में उछालते हुए ।
पनटकिया का क्या जलवा होता था । पांच
का नोट मिला नहीं कि मिठाई की दुकान पर ।
देहातों में तीन पत्ती में पांच रुपये
को पांचाली की तरह दांव पर लगते देखा है ।
रेड लाइट पर देखा है लोग अब कार के डैश
बोर्ड से पाँच का सिक्का ही देते हैं । जिसे
देखो वही पाँच रुपया दान दिये जा रहा है ।
इतने कम में दानवीर बनने का सुख प्राप्त
किये जा रहे हैं सब । यही वो पाँच रुपया है
जिसे मोदी के लिए
प्रति श्रोता वसूला जा रहा था । जो लाख से
मिलकर पाँच लाख होकर उत्तराखंड में रौनक़
बहाल करने वाला है । पाँच रूपये के कितने
ही चिप्स के पैकेट सड़कों पर मिल जायेंगे ।
जिन्हें खाकर ग़रीबों के ललना पेट जलाते हैं ।
अमीरों के बच्चे ज़िद में पाकर ख़ुश हो जाते हैं
। पाँच रुपया चौराहों पर शनिदेव की टँकी में
खूब टपकाया जाता है । पाँच रूपये में कुछ
मिलता तो लोग ऐसे बाँटते न चलते । सबकुछ
शांति से चल रहा था । रशीद मसूद साहब ने
पाँच रुपये की औकात लगा दी । एक टाइम
का खाना मिलता है पाँच रुपये में । पाँच रुपये
का ऐसा टाइम आ गया सुनकर चकरा गया ।
रशीद साहब भी खाते हैं । बीमारी की वजह से ।
हवा और पानी फ़्री का हो तो शायद
बाक़ी दाल पानी आ जाता होगा ।
पता ऐसा बताया जैसे लंदन का हो ।
जामा मस्जिद के लोग भी भटक रहे हैं । पाँच
का खाना खाने के लिए । फटे पुराने नोट बदले
जाने की दुकानों के आगे लाइन लगी है । पाँच
नया कर रहे हैं । जिसे देख वही पाँच
का सिक्का उछाल रहा है । फ़िज़ा में पाँच
ही पाँच है । रिक्शा भी पाँच है ठेला भी पाँच है ।
खुशी के मारे सब पागल हो रहे हैं । खाना खोज
रहे हैं । पाँच रुपये को देखकर ही पेट भर रहे हैं ।
कोई अपना पाँच रुपया किसी को दान में
नहीं दे रहा है । दो टकिया की नौकरी में
तेरा लाखों का सावन जाए टाइप माहौल है ।
झंडू पंचारिष्ठ टाइप शक्तिशाली फ़ील कर
रहे हैं । आज पाँच का पंचनामा टीवी पर
आयेगा । रशीद आयेंगे,नकवी आयेंगे । एक
ग़रीब के पेट पर लात मारेंगे एक सहला़येंगे ।
रशीद साहब की कल किताब आयेगी । पाँच
रुपये में कामयाब भोजन कैसे करें ।
नकवी साहब की किताब आएगी कि पाँच रुपये
में कैसे रशीद साहब को खिला आएं ।
कुतर्कों का कुचक्र चलेगा । फिर खंडन
आयेगा । फिर नया बयान आएगा ।
बीजेपी आरोप लगाएगी सरकार ने
पैमाना घटाकर ग़रीबी घटा दी है ।
अपनी राज्य सरकारों में घटी ग़रीबी के पैमाने
नहीं बताएगी । अगर पैमाना बढ़ जाए तो देश
में ग़रीबी भी बढ़ जाए । उनके राज्यों में भी बढ़
जाएगी । फिर सबके ग्रोथ की पोल खुलेगी ।
आंकड़ों के हेरफेर के खेल का भांडा फूट
जाएगा । भारत की ग़रीबी पाँच रुपये में
इतरायेगी । रशीद साहब वित्त मंत्री बन
जायेंगे और चिदंबरम उनके खजांची । टीवी पर
ग़रीबी की हर थाली का सैंपल सजा मिलेगा ।
पाँच रुपये को भारत का राष्ट्रीय
रुपया घोषित कर दिया जाएगा । पाँच रुपये के
सम्मान में एक दिन मसूद दिवस
मनाया जाएगा । लोगों को बुला बुलाकर पंतुआ
वग़ैरह खिलाया जाएगा । छुट्टी घोषित होगी ।
लोग उस दिन सिर्फ पाँच रुपये
का ही खाना खा़येंगे । जो जो खा लेगा रईस
घोषित कर दिया जाएगा । राजनीति में मूर्ख
होते हैं । मूर्ख रहेंगे । पनटकिया काल है
कांग्रेस का ये । कपार पीटते रहिए । इसलिए
हे पाँच रुपये तुम दुखी मत होना । शान से
कहो मैं पाँच हूँ पाँच । अब कोई तुम्हें
नहीं फेंकेगा । बस ज़रा देखना बारह
रुपया बाज़ी न मार ले जाए । सरकार बारह
का बब्बर नोट न छाप दे । बब्बर करेंसी ।
तुम्हारा
गैर पनटकिया
vj.

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