Saturday, 2 May 2015

तुम्हारी सुर्ख आँखों पर काजल कैसा लगता होगा ....

तुम्हारी सुर्ख आँखों पर काजल कैसा लगता होगा ....



आज भोपाल से इंदौर वापस रहा था .. हाँ वही शहर जहाँ तुम कभी रहा करती थी .. तुम्हारी परछाई ढूँढ रहा था ... शायद तुमने पीछे छोड़ दी हो मेरे लिए ...  बहुत प्यारा शहर है भोपाल ... जगह जगह पे एक नया रंग ...

एक बात बोलूं ??

भोपाल मुझे पहले कभी इतना पसंद नही आया ... पर जब तुमने बताया की तुम पहले वही रहती थी तो .. ईज़ शहर की हर गली ... हर चौराहे से प्यार हो गया. ... अब जब भी भोपाल जाता हूँ बस हर जगह तुम्हारा ही अक्स नज़र आता है ... जिस गली ... जिस चौराहे  .. जिस दुकान पे जाता हूँ .. बस यही सोचता हूँ ... कभी वो भी तो यहाँ आई होगी ना ?? ... कभी उसने भी तो अरेरा हिल्स पे शामे बिताई होंगी ना ?? ... कभी वो भी तो शाम को सिविल लाइन्स पर गोलगप्पे खाती होगी ना ?? ... कभी वो भी तो गोलगप्पे वाले भैया से कहती होगी ना की भैया थोड़ा ज़्यादा स्पाइसी करना ?? :) :) :) ..... तुम्हारी इन बातों को सोचते ही चेहरे पे बड़ी सी मुस्कान जाती है ... गम हो या... मूड ऑफ हो .. बस ये सोच लेता हूँ  तुम यहाँ होती मेरे साथ तो क्या करती ... और सच मानो ... सारी थकान...सारी उलझने ... सुलझ सी जाती है ...

तुम मेरी पावर हाउस हो ...

तुमसे जुड़ी हुई कोई भी चीज़ को देखता हूँ तो बस तुम ही तुम नज़र आती हो... यार तुम्हारी पता है एक प्रोब्लम है .. तुम्हारी आँखें बहुत बातें करती है ... दिन भर बक-बक, बक-बक .... थकती नही हो तुम .... ???  याद है वो रात भर फोन से चिपके रहना  ... बेतुकी ...बेईमानी सी बातें करना ...  बातें करते-करते सो जाना .... याद तो होगा ना ??? वक़्त बदल चुका है .. पर मैं तो आज भी वही खड़ा हूँ .. जहाँ तुम मुझे छोड़ कर गयी थी ...
आज भी फोन का स्क्रीन अनलॉक करता हूँ तो इसी झूठी उम्मीद में की कहीं तुम्हारा कोई कॉल आया होगा ...

अच्छे दिन थे वो यार ... जब हम दोनो साथ थे ...
चलो छोड़ो भी यार .. फिर से वही गुम का फसाना .. और फिर से वही रात में बलेंडर' प्राइड का साथ ...

बात कहाँ शुरू की थी कहाँ पहुँच गया ... देखा तुमने तुम्हारा जादू ... अच्छे ख़ासे को तुम पागल करदो ... पर क्या करे तुम हो ही इतनी अच्छी की , हर कोई तुम्हारे प्यार में पागल हो जाता है ... I am envying you seriously right now ....
तो बात हो रही थी भोपाल की ... भोपाल ही क्यूँ .. तुम्हारे नाम को ही ले लो ... जब भी किसी के नाम में तुम्हारा नाम मिल जाता है तो बस उसके सामने नज़रें अपने आप झुक जाती है .... सच बोलूं तो प्यार हो जाता है उससे से... सिर्फ़ इसलिए की उसका नाम भी वही है जो तुम्हारा  है ... पागलपन की हद ...

हाँ तो भाई ... बात हो रही थी भोपाल की .. फिर आपके नाम की भी कर दी .. अब तो मुद्दे पर जाऊं ??
भोपाल से इंदौर  travel  कर  रहा था  ...  cab share करी थी मैने ... साथ में मेरी colleague थी ... आज पहली बार उसको इतने पास से देखा था ... उस पर मेरा ध्यान इसलिए भी गया के उसकी आँखें जो काजल से सराबोर थी ... मुझे दिन में भी अंधेरे का एहसास करवा रही थी ... ज़्यादा ही अच्छी लग रही थी ... झूठ क्यूँ बोलू ?? बोलता भी नही हूँ ... तुम्हे पता है ...


तो पूरा आज का लेखा-जोखा बस तुम्हारी आँखों की तारीफ़ के लिए था .. तो बात ये है की ...उसकी काजल भरी आँखों को देखकर मुझे तुम्हारी आँखें याद गयी ... बादलों से बाते करती तुम्हारी आँखें... बेरंग में रंग भरने वाली तुम्हारी आँखें .... इशारो से ही सब कुछ कह देने वाली तुम्हारी आँखें .... तुम्हारी आँखें मुझे सबसे ज़्यादा प्यारी है ... सबसे ज़्यादा ... मतलब सबसे सबसे सबसे ज़्यादा... तुम कुछ ना भी बोलो तो तुम्हारी आँखें सब कुछ बोल जाती है ... तुम्हारे लिए लाई डिटेक्टर का काम करती है ... एक snap में तुम्हारी आँखों में काजल लगा था ना... काजल तो तुम हमेशा ही लगाती हो ... पर उस snap में कुछ उभर के आ रहा था  तुम्हारे काजल का रंग .. वो मुझे आज भी मेरे दिल के सबसे करीब है ... lappy का वॉलपेपर ... पिक्चर पासवर्ड... हर चीज़ जो मेरे लिए सबसे important है सब में बस तुम ही तुम हो ... तुम्हारी आँखों में काजल कितना खूबसूरत लगता होगा ना ...  किसी को भी घायल करने के लिए काफ़ी ... तुम काजल लगाकर घर से बाहर ना निकला करो ... काले घने बादल आसमान पर  छा जाते हैं ... और तुम्हारे प्यार की बारिश मुझे मेरे हर जर्रे में भीगा जाती है ....

काजल से भरी तेरी आँखें , मजबूर करें जीने के लिए ...
दबंग इस्टाइल में कहूँ तो....

तेरे मस्त मस्त दो नैन
मेरे दिल का ले गये चैन....

तेरे मस्त मस्त दो नैन

मेरे दिल का ले गये चैन.....

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