Saturday, 9 July 2016

कुछ कहना था आज

आज मन कहीं भाग जाने का कर रहा है.. कही दूर जहाँ कोई ना आता जाता हो... झूठ की इस दुनिया में सच्चाई की मशाल लेके कब तक चलूँगा .... अब मैं हिम्मत हार चुका हूँ... फ़िज़ूल की ताक़त नही रही मुझमें... जो मुझे कहते है वो खुद भी तो वही कर सकते है ... पर नही वो नही करके मेरे माथे थोप देते हैं सब कुछ . ..

वालपेपर पर एक पुराने दोस्त की फोटो लगाई है आज... सब बदल गये  .. सब झूठे है... सब बनावटी है ... पर तुम आज भी बिना फिल्टर के उतनी ही खूबसूरत दिखती हो जितनी कई साल पहले तुम्हे देखा था ... क्या कहती थी तुम ??... aesthetic ब्यूटी ... चलो दोस्त आज तुम्हे याद कर रहा हूँ ... शब्द अब कमज़ोर हो गये है... जो बर्फ जमी तो आज तक नही पिघली ... तुम नही .. तुम्हारी तस्वीर ही सही ...  कमसे कम नखली तो नही है...लोगो की तरह ... तुमने कभी आड़े तिरछे मुँह नही बनाए...हमेशा सादगी भरा चेहरा .. जिस पर एक बेपरवाह सी मुस्कान का साया हमेशा रहता था...तुम्हे कुछ बताता हूँ ...आड़े तिरछे से याद आया ..  आज कल के लोग बनाते हैं ना .. जिसे वो सेल्फी भी कहते है.. सेल्फी लेते लेते लोग सेल्फिश हो गये है ... अच्छा है तुम यहाँ नही हो .. वरना तुम  तो पागल ही हो जाती.. जैसे पहले होती थी ... तुम कितना चिढ़ती थी ऐसे लोगो से ... खास कर ऐसी लड़कियो से... तभी तो हम दोनो साइकोलॉजिकली इतने same थे...

तुम जबसे गयी हो ... बहुत दुखी रहता हूँ.. खुदसे परेशान हूँ .. उससे भी ज़यादा लोगों से ... पता है क्या ? ... मैं आप सबसे बड़ी दूर कही हमेशा के लिए चला जाना चाहता हूँ... कहीं दूर,,, जहाँ आवाज़ लगाने पर भी मैं मूढ़ के देख ना सकूँ ..

तुम्हारी जगह कोई ले रहा है अब ... धीरे धीरे .. पर फिर भी जो तुम मुझे समझती थी ..  मेरी कद्र करती थी ...  वो भी कर रही है.. पर फिर भी नही समझ पाती है... तुमको एक बार किसी चीज़ के लिए ना कह देता था तो तुम आँख बंद करके वही करती थी .. क्यूंकी तुम्हे मुझ पर विश्वास था..भरोसा था की मैं जो भी कहूँगा या करूँगा उसके पीछे कोई ना कोई वजह होगी और उससे भी ज़्यादा तुम्हे पता था की वो तुम्हारे हित में ही  होगी... अब वो विश्वास नही करती है... क्या कर सकते है...

कोफ़्त होती है खुदसे... सबसे ज़्यादा इस ईश्वर से... नाइंसाफी की हद तो देखो... जो जिस चीज़ के लायक ही नही है उसे वो मिल रही है... हमेशा से ऐसा ही होता आया है.. और होता रहेगा... कुछ लोग बिना मेहनत किए इतना कुछ ले जाते है की खुद की कि गयी मेहनत बेमानी सी लगती है...

हे ईश्वर तुम उन्हे सब दे दो.. मेरे हिस्से का भी सुख दे दो... पर गम सिर्फ़ मुझे देना .. वो मैं बाँट नही  पाउँगा...  भेज दो मुझे ऐसी कोई दुनिया में जहाँ लोग उतने ही खूबसूरत हो जीतने की वो बाहरी नकली सोशियल मीडीया की दुनिया में होने का दावा करते है ...

तुम जिन लोगो के दाता बने हो.. क्या कभी तुमको याद भी करते है .. भगवान भगवान करने से कोई तुम्हारा भक्त तो नही हो जाता है.. वो तो मन से निकलना चाहिए ना ? फिर भी तुम्हे वही झूठे लोग पसंद है ना...

सब खुश नही है यहाँ आपकी दुनिया में... Non deservings लोगो से बात करता हूँ ... उन्हे खुश होते देखता हूँ ..तो चिड जाता हूँ... सब Non deservings है आस पास ... आईने में अपनी शक्ल भी नही देखते ...  खुद से तो शरम आनी चाहिए या वो भी कही बेच दी है... ??  कौड़ियों के भाव ....

सूरत नही सीरत अच्छी होनी चाहिए....  हज़ार फिल्टर लगाके फोटो डालने से क्या होगा जब तक दिल ही साफ ना हो.. खैर मुझे क्या ?  जो हो रहा है उसे ना मैं पहले रोक पाया था ना अब रोक . पाउँगा ...

खुद को ही बदल रहा हूँ धीरे धीरे...

बदल ही जाउँगा ... आप सब लोगो की ही तरह हज़ार फिल्टर लगाके... झूठा ही सही ... आपकी तरह...

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