था मैं नींद में..
और मुझे इतना सजाया जा रहा था..
बड़े ही प्यार से..
मुझे नहलाया जा रहा था..
नज़ाने था वो कौन सा अजब ख़ेल..
मेरे घर में,
बच्चों की तरह..
मुझे काँधे पे उठाया जा रहा था..
था पास मेरे मेरा हर अपना उस वक़्त ..
फिर भी मैं हर किसी के मूँह से..
बुलाया जा रहा था..
जो कभी देखते भी न थे..
मुहब्बत की निगाह से..
उन के दिल से भी प्यार मुझ पे लूटाया जा रहा था..
मालूम नही हैरान था हर कोई..
मुझे सोता हुआ देख कर..
ज़ोर ज़ोर से रो कर मुझे हंसाया जा रहा था,
काँप उठी मेरी रूह..
मेरा वो मकान देख कर..
पता चला मुझे दफ़नाया जा रहा था..
रो पड़ा फिर मैं भी अपना वो मंज़र देख कर..
जहाँ मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था...
No comments:
Post a Comment