बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ए ज़िन्दगी, हम दूर से पहचान लेते हैं।
मेरी नजरें भी ऐसे काफ़िरों की जान ओ ईमाँ हैं
निगाहे मिलते ही जो जान और ईमान लेते हैं।
जिसे कहती दुनिया कामयाबी वाय नादानी
उसे किन क़ीमतों पर कामयाब इंसान लेते हैं।
तबियत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में
हम ऐसे में तेरी यादों के चादर तान लेते हैं
खुद अपना फ़ैसला भी इश्क में काफ़ी नहीं होता
उसे भी कैसे कर गुजरें जो दिल में ठान लेते हैं
जिसे सूरत बताते हैं, पता देती है सीरत का
इबारत देख कर जिस तरह मानी जान लेते हैं
तुझे घाटा ना होने देंगे कारोबार-ए-उल्फ़त में
हम अपने सर तेरा ऎ दोस्त हर नुक़सान लेते हैं
हमारी हर नजर तुझसे नयी सौगन्ध खाती है
तो तेरी हर नजर से हम नया पैगाम लेते हैं
'फ़िराक' अक्सर बदल कर भेस मिलता है कोई काफ़िर
कभी हम जान लेते हैं कभी पहचान लेते हैं
तुझे ए ज़िन्दगी, हम दूर से पहचान लेते हैं।
मेरी नजरें भी ऐसे काफ़िरों की जान ओ ईमाँ हैं
निगाहे मिलते ही जो जान और ईमान लेते हैं।
जिसे कहती दुनिया कामयाबी वाय नादानी
उसे किन क़ीमतों पर कामयाब इंसान लेते हैं।
तबियत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में
हम ऐसे में तेरी यादों के चादर तान लेते हैं
खुद अपना फ़ैसला भी इश्क में काफ़ी नहीं होता
उसे भी कैसे कर गुजरें जो दिल में ठान लेते हैं
जिसे सूरत बताते हैं, पता देती है सीरत का
इबारत देख कर जिस तरह मानी जान लेते हैं
तुझे घाटा ना होने देंगे कारोबार-ए-उल्फ़त में
हम अपने सर तेरा ऎ दोस्त हर नुक़सान लेते हैं
हमारी हर नजर तुझसे नयी सौगन्ध खाती है
तो तेरी हर नजर से हम नया पैगाम लेते हैं
'फ़िराक' अक्सर बदल कर भेस मिलता है कोई काफ़िर
कभी हम जान लेते हैं कभी पहचान लेते हैं
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