"क्या कहा? तुमने चाय बनाई है, वो भी मेरे लिए? 3 साल हो गए हैं हमारी शादी को और तुम्हें तो ये भी याद नहीं होगा कि तुमने आखिरी बार किचन में कदम कब रखा था।" अंजलि ने अपने पति सुशील की खिल्ली उड़ाते हुए कहा।
"किचन में नहीं आया तो क्या हुआ? हर वक़्त, हर लम्हा तुम्हारे दिल में तो आता हूँ ना?" सुशील ने जुबां से ज़्यादा आँखों से इसका जवाब दिया।
"तुम भी ना सुशील, बातें बनाना तो कोई तुमसे सीखे। काश ये बातों की मीठास तुम इस फीकी चाय में भी डाल देते, बिलकुल स्वाद नहीं है इसमें तो।"
"अरे, मैंने सोचा आज कुछ अलग किया जाये। मीठी चाय तो हर दिन पीते हैं, तो इसलिए ये फीकी चाय बना दी। खैर, चाय में चीनी मत खोजो, इसमें तो..."
"हाँ पता है, इसमें तुमने प्यार घोला है जिसकी मिठास कोई चीनी पूरी नहीं कर सकती। है ना?"
"बिल्कुल सही कहा अंजली। तुम्हारी यही बात मुझे सबसे अच्छी लगती है कि तुम अक्सर मेरी..."
"कि मैं अक्सर तुम्हारी अधूरी बातें पूरी करती हूँ। हाँ, मुझे पता रहता है कि तुम्हारा दिल क्या कहना चाहता है। वो सीधा तुम्हारी आँखों को सिग्नल देता है, जिन्हें मैं पढ़ लेती हूँ।"
अंजली की इस बात ने सुशील के चेहरे पर फीकी चाय पीने से आई कड़वाहट को दूर कर दिया और उसने अंजली को अपनी बाँहों में भर लिया।
और इस तरह एक बिना चीनी वाली फीकी चाय ने उनकी ज़िन्दगी में फिर मिठास घोल दी।
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