Friday, 12 October 2018

EMI

अपनी मंज़िल के कुछ
और क़रीब आया हूँ
सिर पर एक अपनी
अदद छत की ख़ातिर
तमाम अमीरों के बीच
शहर मैं ग़रीब आया हूँ
सब कहते हैं तुम्हें EMI
तुम हो चूस लेती हो
कमाई की पाई पाई
तुम से कोई बच
कोई कहाँ जाए
सच कह रहा हूँ
बैंक दे रहे थे
पर्सनल लोन भी कई
लेकिन सिर्फ़ तुम्हारे
क़रीब आया हूँ!

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