अपनी मंज़िल के कुछ
और क़रीब आया हूँ
सिर पर एक अपनी
अदद छत की ख़ातिर
तमाम अमीरों के बीच
शहर मैं ग़रीब आया हूँ
सब कहते हैं तुम्हें EMI
तुम हो चूस लेती हो
कमाई की पाई पाई
तुम से कोई बच
कोई कहाँ जाए
सच कह रहा हूँ
बैंक दे रहे थे
पर्सनल लोन भी कई
लेकिन सिर्फ़ तुम्हारे
क़रीब आया हूँ!
और क़रीब आया हूँ
सिर पर एक अपनी
अदद छत की ख़ातिर
तमाम अमीरों के बीच
शहर मैं ग़रीब आया हूँ
सब कहते हैं तुम्हें EMI
तुम हो चूस लेती हो
कमाई की पाई पाई
तुम से कोई बच
कोई कहाँ जाए
सच कह रहा हूँ
बैंक दे रहे थे
पर्सनल लोन भी कई
लेकिन सिर्फ़ तुम्हारे
क़रीब आया हूँ!
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