हर मुक़ाम पर लगता है की मंज़िलें और भी है
रास्ता अभी बाकी है बहुत की मंज़िलें और भी है
साहिल से टकराकर लौट जाती है हर लहर
साहिल उसके और भी है की मंज़िलें और भी है
ढल जाता है सूरज भी हर शाम
सुबहें अभी और भी है की मंज़िलें और भी है
हमने माना की जिंदगी धड़कनो की मोहताज़ है
साँसे अभी और भी है की मंज़िलें और भी है....
रास्ता अभी बाकी है बहुत की मंज़िलें और भी है
साहिल से टकराकर लौट जाती है हर लहर
साहिल उसके और भी है की मंज़िलें और भी है
ढल जाता है सूरज भी हर शाम
सुबहें अभी और भी है की मंज़िलें और भी है
हमने माना की जिंदगी धड़कनो की मोहताज़ है
साँसे अभी और भी है की मंज़िलें और भी है....
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