Sunday, 28 October 2018

बिस्मिल

दिल मौहल्ले में आग लगाई जाती हैं क्या ,
ऐसी बाते सभी को बताई जाती हैं क्या I
तिलिस्म-ए - शब - औं - रोज होता हैं हर वक़्त,
ऐसे रुख्सार पर जल्फे ऊडाई जाती हैं क्या I
शब - ए - वस्ल उल्फ़त के वादे हजार किये ,
उम्र भर महोब्बत वाकई निभाई जाती हैं क्या I
मुझे बस उससे लिपट के रहने दो,
बुरी आदते छुडाई जाती हैं क्या I
देख कर ही बस कत्ल - ए -आम हो गए ,
इतनी खूबसुरत तलवार बनाई जाती हैं क्या I
बिस्मिल तुम्हे अब तो भुला दिया होगा ,
ऐसी चीजे कभी भुलाई जाती हैं क्या I
बिस्मिल
तिलिस्म-ए - शब - औं - रोज = Magic of day and night

No comments:

Post a Comment

A lost hope

Fountains of lament burst through my desires for you.. Stood like the height of a pillar that you were, I could see your moving eyes ...