Tuesday, 28 June 2016

जहाँ मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था



था मैं नींद में..
और मुझे इतना सजाया जा रहा था..

बड़े ही प्यार से..
मुझे नहलाया जा रहा था..

नज़ाने था वो कौन सा अजब ख़ेल..
मेरे घर में,
बच्चों की तरह..
मुझे काँधे पे उठाया जा रहा था..

था पास मेरे मेरा हर अपना उस वक़्त ..
फिर भी मैं हर किसी के मूँह से..
बुलाया जा रहा था..

जो कभी देखते भी न थे..
मुहब्बत की निगाह से..
उन के दिल से भी प्यार मुझ पे लूटाया जा रहा था..

मालूम नही हैरान था हर कोई..
मुझे सोता हुआ देख कर..
ज़ोर ज़ोर से रो कर मुझे हंसाया जा रहा था,
काँप उठी मेरी रूह..
मेरा वो मकान देख कर..
पता चला मुझे दफ़नाया जा रहा था..

रो पड़ा फिर मैं भी अपना वो मंज़र देख कर..
जहाँ मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था...

Saturday, 25 June 2016

ख़ुद से वादा था पुराना जो निभाया मैंने


एक झूठा ही सही ख़्वाब सजाया मैंने
तुझे अलसुबह अपने पास में पाया मैंने

मेरे जानिब मुझे जो भी मिला बेचेहरा
उसके सांचे पे तेरा नक्श बनाया मैंने

तू नहीं थी, मगर उसमें थी महक तेरी
हाय क्या सूंघ लिया है ये खुदाया मैंने

तेरे आने का ये जो शोर है, अफवाह है ये
अपनी तन्हाई को इक दिन ये बताया मैंने

न तुझे जाने से रोका, न बुलाया वापस
न इस बात पे अफ़सोस जताया मैंने

अपनी उम्मीद का घोंटा गला फिर चुपके से
उसको अपने ही अंधेरे में डुबाया मैंने

तू गई, मैं तेरे जाने पे भी नहीं रोया
ख़ुद से वादा था पुराना जो निभाया मैंने

Friday, 24 June 2016

खोई हुई एक चीज़



यहीं कहीं तो रख्खी थी
दिल के पलंग पर
यादों के सिरहाने के नीचे  शायद
या फिर वक्त की
जंग लगी अलमारी के ऊपर
तनहाई की मेज पे या फिर
उदासियों की मुड़ी तुड़ी चादर के नीचे ?
यहीं कहीं तो रख्खी थी
कुछ तो रखकर भूल गया हूं
आंखिर क्या था
ये भी याद नहीं आता
कई दिनों से ढूंढ रहा हूं
वो बेनाम सी ,बेरंग
और बेशक्ल सी कोई चीज़
ऐसी चींजें खोकर वापस मिलती हैं क्या ?
एक-दूजे की ज़िंदगी में
हम दोनों भी ऐसी ही खोई हुई एक चीज़ हैं न ?
मैं फिर भी कोशिश करता हूं
तुम तो अब ढूंढना भी शायद भूल गई हो

Sunday, 19 June 2016

प्यारी गर्मी की छुट्टियों


प्यारी गर्मी की छुट्टियों,


तुम कहाँ चली गईं…और अपने साथ कितना कुछ ले गईं.
वो नानी के घर जाना, दिन भर उधम मचाना, तपती धूप में शैतानियाँ, वो कॉमिक्स पढ़ना और उनकी लाइब्रेरी चलाना, फ्रीज में दूध-पानी की आइसक्रीम जमाना, वो ताश की बाज़ियाँ और सांप-सीढ़ी के दाँव, रसना पार्टियाँ, रात को वीसीआर पर फिल्म देखने का चाव, छत पर बर्फ सी ठंडी चादर पर पसर जाना, तारों की छत के नीचे, नानू से कहानी सुनते-सुनते सो जाना…


पहले तो छुट्टी पड़ते ही बस्ते से कुट्टी हो जाती थी, अब तो हॉलिडे होमवर्क, मास्टर जी के डंडे सा डराता है.  
तुम खो गई हो, पर फ़िर तुम कहोगी कि बच्चों का बचपन भी तो खो गया है. बेफ़िक्री, मासूमियत, मस्ती छोड़कर क्लासेस और कॉम्पिटिशन्स का हो गया है, उम्र से पहले ही बड़ा हो गया है.
उसे लौटा लाओ तो मैं भी लौट आऊँगी… तुम्हारी तरह उनका बचपन भी, नानी के अचार-मुरब्बों जैसा खट्टा-मीठा बनाऊँगी.


प्यारी ऑडियो कैसेट



प्यारी ऑडियो कैसेट,
तुमसे हमारी कितनी सारी म्यूज़िकल यादें जुड़ी हुई हैं. टेप में खुद उल्टा लगकर सीधे, सच्चे गीत सुनाती थीं तुम!
नई फिल्म रिलीज़ हुई नहीं कि उसकी कैसेट खरीदने की होड़ लग जाती थी. ड्राइंग रूम की अलमारी या रैक में कैसेट कवर, एक के ऊपर एक जमाकर शान से रखे जाते थे. जिसका गठ्ठा जितना बड़ा, वो उतना ही बड़ा संगीत प्रेमी माना जाता था.
उस अलमारी के अंदर की दुनिया बड़ी निराली थी. संगीत के बड़े-बड़े उस्ताद, किशोर-रफ़ी जैसे स्वर सम्राट, लता-आशा जैसी स्वर देवियाँ, शानू दा-उदित नारायण जैसे लोकप्रिय गायक, अनूप जलोटा और चंचल जैसे भजन सम्राट, जगजीत और पंकज उधास जैसे ग़ज़ल फनकार, जॉनी लीवर और केके नायकर जैसे हास्य कलाकार, सब मिल-जुलकर रहा करते थे. सच, संगीत में भेद मिटाने की ताकत होती है.
याद आया, मेरे पास तो फिल्मों के डायलाग की भी कैसेट थी.
‘ए’ साइड और ‘बी’ साइड के गाने याद करना, एक साइड पूरी होने पर खटाक से पल्टा लगाना, रील फोड़कर उसमें आवाज़ सुनने की कोशिश करना, रील खिंच जाने पर होल में पेंसिल फँसाकर गोल-गोल घुमाकर उसे ठीक करना, रिकॉर्ड का बटन दबाकर खुद की आवाज़ टेप करना, अपने मनपसंद गानों की कैसेट ‘भरवाने’ के लिए लिस्ट बनाना, मनपसंद गाना रिवाइंड कर-कर बार बार सुनना, झंकार बीट्स, नॉन स्टॉप हिट्स…इन छोटी-छोटी खुशियों को हम सभी ने जीया है, ऑडियो कैसेट की खरखराती आवाज़ से अपने बचपन को संगीतमय किया है.
आज ऑडियो कैसेट नहीं है, न ही उसका साथी टेप रहा है. घरों, रिश्तों और ज़िन्दगी में भी संगीत कम हो गया है. क्या इन दोनों बातों में कोई कनेक्शन है…पूछता मेरे मन का रिवाइंड बटन है!

Sunday, 12 June 2016

फिर मेरी याद आ रही होगी….

फिर मेरी याद रही होगी….
फिर वो दीपक बुझा रही होगी….

फिर मेरे Facebook पे आकर वो
खुद को बैनर बना रही होगी

फिर मेरी याद रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी…..

अपने बेटे का चूम कर माथा….
मुझको टीका लगा रही होगी….

फिर मेरी याद रही होगी….
फिर वो दीपक बुझा रही होगी….

फिर उसी ने उसे छुआ होगा….
फिर उसी से निभा रही होगी….

फिर मेरी याद रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी….

जिस्म चादर सा बिछ गया होगा
रूह सिलवट हटा रही होगी….

फिर मेरी याद रही होगी….
फिर वो दीपक बुझा रही होगी….

फिर से एक रात कट गयी होगी
फिर से एक रात रही होगी

फिर मेरी याद रही होगी
फिर वो दीपक जला रही होगी.

Wednesday, 8 June 2016

Rain and You

I'm leaving now, but here is a reminder.. It will bring to you the days we walked through rain.. So when you wish to feel my hand in yours.. Or stroke your dripping hair-- Then kiss the rain..
Though leaving now, I wish I could be with you... So when you feel overwhelmed with grief or pain.. And long for my caress upon your face... The rain will touch instead-- So kiss the rain..
Whenever you have thoughts of this sad parting.. And salty tears your lovely cheeks do stain.. To feel the tears for you I'll surely have.. Do this, and I will too-- Go kiss the rain..
Whenever you are longing for my presence.. And times that we went strolling down the lane.. I'll whisper soft endearments on the breeze.. So heed the sighing wind-- And kiss the rain..
If ever you should pine to hear me speaking.. The thunder might burst forth with glorious main.. While drops that fall are sure to be my tears.. To feel them wet your skin-- Just kiss the rain...

Sunday, 5 June 2016

Intoxicating beauty ...

The wrinkled bed sheet still reminds me of the waves which took us to a different world altogether... where only you and me existed ..

I wish that could have lasted forever ..

This is in the account for ... when you came yesterday in my dreams ... you were walking down some street..  don't know which... you were coming toward me.... and this is all that happened... thank you for such a lovely dream... love you ...

Fuck  man !!! I encountered the devil just now !!

Shit was just out of me when i saw her today walking down the street she was not a girl she was devil because humans can't be so beautiful. She was having ravishing beauty I just had my mouth open for a minute , even my heart was going to be poured out.

For a moment I thought I passed away.

She was fucking sexy.

This is a love letter to her , just wanna make her pinned to the bed ... ;-)

The first time I met you my stomach was lifted into my throat by one million butterflies & I nearly lost my shit. You caught me joking about what I would do to you if I got you alone & you laughed. I caught you watching me & laughed as well. 

That smile, I want to suck the enamel off your teeth some late night as we watch the city come alive. 

I want to watch the sunrise from balconies with you after a night spent discussing politics. 

I want to get under your skin. 

I want to listen & absorb your idea’s/ideals. 

I want to study the geography of your body. 

I want to start a revolution with you. 

I want to write secret notes on your back as you sleep next to me,

but what I really want is to tell you that regardless of everything, I love you.

Even if you never love me back… I love you.

I hope that when you’re laying in bed after a night spent in some distant state or country, watching terrible tv, that you don’t feel alone.

P.S. - I love you.

An Idiotic Lover (Just little less than you :P)

A lost hope

Fountains of lament burst through my desires for you.. Stood like the height of a pillar that you were, I could see your moving eyes ...