देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ
हर वक़्त मेरे साथ है उलझा हुआ सा कुछ
होता है यूँ भी रास्ता खुलता नहीं कहीं
जंगल-सा फैल जाता है खोया हुआ सा कुछ
साहिल की गिली रेत पर बच्चों के खेल-सा
हर लम्हा मुझ में बनता बिखरता हुआ सा कुछ
फ़ुर्सत ने आज घर को सजाया कुछ इस तरह
हर शय से मुस्कुराता है रोता हुआ सा कुछ
धुँधली सी एक याद किसी क़ब्र का दिया
और मेरे आस-पास चमकता हुआ सा कुछ....
क्या बताऊं अपने बारे में ... बस इतना समझ लीजिए की पागल हवा का झोंका हूँ .. .. जो मन करता है वही करता हूँ ... बक-बक करने की आदत है सो ब्लॉग लिख कर मन बहलाता हूँ ..... ज़मीन से जुड़ा हूँ .. सो ज़मीन की बातें करता हूँ .. छोटी-छोटी चीज़ो में खुशी ढूँढने की कोशिश करता हूँ ... बॉस मैं ओल्ड फेशन्ड .. थोड़ा सा कन्सर्वेटिव .. दूरदर्शन जेनरेशन का आदमी हूँ .. मिलने की उम्मीद करता हूँ .. बिछड़ने से डरता हूँ .. सपने देखता हूँ .. इससे ज़्यादा मेरे बारे में क्या जानोगे.... !!!!
Saturday, 10 November 2018
Thursday, 8 November 2018
कुछ पत्ते
कुछ पत्ते उगे थे ताबिर में तुम्हारे
हरफ़-दर-हरफ़ ये मुंतज़ीर थे तुम्हारे
पर रात के सहर की तरह तुम ना आई
तो अब सुख के झ़ड़ रहे हैं आबशार में तुम्हारे
एक काम करो जाना
अपने उन्स का पानी डालो
और इन्हे फिर से हरा कर दो
-बिस्मिल
हरफ़-दर-हरफ़ ये मुंतज़ीर थे तुम्हारे
पर रात के सहर की तरह तुम ना आई
तो अब सुख के झ़ड़ रहे हैं आबशार में तुम्हारे
एक काम करो जाना
अपने उन्स का पानी डालो
और इन्हे फिर से हरा कर दो
-बिस्मिल
अशार
सब उम्मीद-ए-सहर में सोते हैं
रात इतनी बुरी बला है क्या?
दे रहा है दुआएँ जीने की
यार तू मुझसे कुछ ख़फा है क्या?
सब गुनाह याद आ रहे हैं मुझे
आँखरी वक़्त आ रहा है क्या?
चाँद कुछ बदहवास दिखता है
छत पे वो भी खड़ा हुआ है क्या?
मुझसे सच्चाई पूछती है "बिस्मिल"
झूठ में कोई ज़ायक़ा है क्या?
-बिस्मिल
रात इतनी बुरी बला है क्या?
दे रहा है दुआएँ जीने की
यार तू मुझसे कुछ ख़फा है क्या?
सब गुनाह याद आ रहे हैं मुझे
आँखरी वक़्त आ रहा है क्या?
चाँद कुछ बदहवास दिखता है
छत पे वो भी खड़ा हुआ है क्या?
मुझसे सच्चाई पूछती है "बिस्मिल"
झूठ में कोई ज़ायक़ा है क्या?
-बिस्मिल
Wednesday, 7 November 2018
माँ मोम सी मेरी
माँ मोम सी मेरी पिघल जाती है
माँ हर दीवाली इंतेज़ार में जल जाती है
सज़ा-सजाया होगा सालों से मेरा कमरा
रंगाई-पुताई का निखार तो अब तक होगा गहरा
माँ फिर भी उनको संवार आती है
मेरे फोटो को बार-बार निहार जाती है
माँ मोम सी मेरी पिघल जाती है
माँ हर दीवाली इंतेज़ार में जल जाती है
जलते दीए को रखती है कोना-कोना
कुछ बचा लेती है मेरे खातिर बनाने को खिलोना
सुन पटाखों की धमक वो डर जाती है
मेरी फ़िकर में आँगन से निकल आती है
माँ मोम सी मेरी पिघल जाती है
माँ हर दीवाली इंतेज़ार में जल जाती है
मेरे हिस्से का भी पका होगा पकवान
भले खुद ही खाएगी अगले बिहान
उस अमावस से अम्मा निकल तो आती है
बच्चों से मेरा करा हुआ बहाना हंस के सुनाती है
माँ फिर अगली दीवाली के लिए कुछ उम्मीद बँधा जाती है
बस मेरी खातिर खुद से ही लड़ जाती है
माँ मोम सी मेरी पिघल जाती है
माँ हर दीवाली इंतेज़ार में जल जाती है
-बिस्मिल
Sunday, 4 November 2018
Politician
My dog sleeps about 20 hours a day.
He has his food prepared for him.
He can eat whenever he wants, 24*7*365
His meals are provided at no cost to him.
By the way he does not need to pay for medical insurance.
He visits the doctor once a year for his checkup, and again during the year if any medical needs arise.
For this he pays nothing and nothing is required of him.
He lives in a nice neighborhood in a house that is much larger than he needs, but he is not required to do any upkeep.
If he makes a mess, someone else cleans it up.
He has his choice of luxurious places to sleep.
He receives these accommodations absolutely free.
He is living like a King, and has absolutely no expenses whatsoever.
All of his costs are picked up by others who go out and earn a living every day.
I was just thinking about all this, and suddenly it hit me like a brick in the head.......
My dog is like the Indian POLITICIAN...
He has his food prepared for him.
He can eat whenever he wants, 24*7*365
His meals are provided at no cost to him.
By the way he does not need to pay for medical insurance.
He visits the doctor once a year for his checkup, and again during the year if any medical needs arise.
For this he pays nothing and nothing is required of him.
He lives in a nice neighborhood in a house that is much larger than he needs, but he is not required to do any upkeep.
If he makes a mess, someone else cleans it up.
He has his choice of luxurious places to sleep.
He receives these accommodations absolutely free.
He is living like a King, and has absolutely no expenses whatsoever.
All of his costs are picked up by others who go out and earn a living every day.
I was just thinking about all this, and suddenly it hit me like a brick in the head.......
My dog is like the Indian POLITICIAN...
Saturday, 3 November 2018
संभावना
आज एक अरसे बाद
जो फ़ुर्सत से बैठा
तो तुम्हारा ख़याल
आके मेरे पास बैठ गया
कुछ बोला नही
यूँही बुत बनकर मुझे तांका
कुछ देर यूँही
एक खामोशी बातें करती रही
धीरे से मैने
तुम्हारी हाथों की लकीरों को टटोला
सारी लकीरे दिखी
बस समय की लकीर ना दिखी
तुम अब भी
मुझे शून्य की तरह देखती रही
और मैं तुम्हे
एक संभावना की तरह देखता रहा
संभावना की
ये तुम्हारा ख़याल नही तुम ही हो
संभावना की
ये खामोशी नही तुम बोल रही हो
संभावना की
ये समय की लकीरें फिर से मिल गयी
संभावना की
ये शून्य अब असंख्य भाव में जी उठा
संभावना की
ये मेरी कल्पना नही हक़ीकत है
संभावना की
ये जो आज तुम लौट आई हो
कभी ना जाओगी फिर कभी
मेरे ख्वाबों की दुनिया छोड़कर
-बिस्मिल
जो फ़ुर्सत से बैठा
तो तुम्हारा ख़याल
आके मेरे पास बैठ गया
कुछ बोला नही
यूँही बुत बनकर मुझे तांका
कुछ देर यूँही
एक खामोशी बातें करती रही
धीरे से मैने
तुम्हारी हाथों की लकीरों को टटोला
सारी लकीरे दिखी
बस समय की लकीर ना दिखी
तुम अब भी
मुझे शून्य की तरह देखती रही
और मैं तुम्हे
एक संभावना की तरह देखता रहा
संभावना की
ये तुम्हारा ख़याल नही तुम ही हो
संभावना की
ये खामोशी नही तुम बोल रही हो
संभावना की
ये समय की लकीरें फिर से मिल गयी
संभावना की
ये शून्य अब असंख्य भाव में जी उठा
संभावना की
ये मेरी कल्पना नही हक़ीकत है
संभावना की
ये जो आज तुम लौट आई हो
कभी ना जाओगी फिर कभी
मेरे ख्वाबों की दुनिया छोड़कर
-बिस्मिल
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A lost hope
Fountains of lament burst through my desires for you.. Stood like the height of a pillar that you were, I could see your moving eyes ...
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अगर यकीं नहीं आता तो आजमाए मुझे वो आईना है तो फिर आईना दिखाए मुझे अज़ब चिराग़ हूँ दिन-रात जलता रहता हूँ मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए ...
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Fountains of lament burst through my desires for you.. Stood like the height of a pillar that you were, I could see your moving eyes ...
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परिंदे छत पे बुलाते हैं बैन करते हैं मेरी बयाज़ दिखाते हैं बैन करते हैं इन्हें पता ही नहीं बंद खिड़कियों की सिसक ये लोग रो नहीं पाते है...